जिसने भी मुहब्बत का गीत गया है
जिसने भी मुहब्बत का गीत गया है ज़िन्दगी का लुत्फ़ उसने ही उठाया है, मौसम …
जिसने भी मुहब्बत का गीत गया है ज़िन्दगी का लुत्फ़ उसने ही उठाया है, मौसम …
किसी दिन तो तू भी मुहब्बत हक़ीक़ी कर के देख कैसे जीते है तेरे बगैर …
ऐसे मौसम में भला कौन जुदा होता है जैसे मौसम में तू हर रोज़ खफ़ा …
कैसे कहे, क्या कहे इसी कशमकश में रह गए हम अल्फाज़ ढूँढ़ते रहे, वो बात …
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बहुत सलीक़े से चीख ओ पुकार करते रहेहम अपने दर्द के मरकज़ पे वार करते …