संग ए मरमर से तराशा हुआ ये शोख़ बदन….

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संग ए मरमर से तराशा हुआ ये शोख़ बदन इतना दिलकश है कि अपनाने को जी चाहता है,

उसे मैं क्यूँ बताऊँ…???

उसे मैं क्यूँ बताऊँ

उसे मैं क्यूँ बताऊँ ??? मैंने उसको कितना चाहा है, बताया झूठ हो जाता है, सच्ची बात की

वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो…

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वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो मुझे वापस बुलाएगा ज़रा तुम मर तो जाने

किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था…

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किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था ये कल की बात है दिल ज़िन्दगी में रहता था,

ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी…

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ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम अभी, अभी ताज़ा

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी…

कभी ख़ामोश रहोगी कभी

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई पूछेगा बे वजह

हिज़्र में खून रुलाते हो, कहाँ होते हो ?

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हिज़्र में खून रुलाते हो, कहाँ होते हो ? लौट कर क्यूँ नहीं आते हो, कहाँ होते हो

यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये…

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यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के लिये, कहाँ थे

तेरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है…

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तेरे बदन से जो छू कर इधर भी आता है मिसाल-ए-रंग वो झोंका नज़र भी आता है, तमाम

एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी…

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एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी गलियों गलियों मुझसे मिलने आये भी घबराये भी,