क्यूँ ज़मीं है आज प्यासी इस तरह ?
क्यूँ ज़मीं है आज प्यासी इस तरह ? हो रही नदियाँ सियासी इस तरह, जान …
क्यूँ ज़मीं है आज प्यासी इस तरह ? हो रही नदियाँ सियासी इस तरह, जान …
दौर ए ज़दीद में गुनाह ओ सवाब बिकते है वतन में अब जुबां, क़लम ज़नाब …
आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह बद दुआएँ हैं लबों पर अब दुआओं …
बज़ाहिर प्यार की दुनियाँ में जो नाकाम होता है कोई रूसो कोई हिटलर कोई खय्याम …
ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम ये इल्म है कि नफ़रत के मददगार …
पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के कहाँ पाएँगे शहर के बेचैन …
अब दावत पे भी बारात पे भी टैक्स लगेगा अब शादी की रसुमात पे भी …
हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है वो ज़हर बाँटता है और प्यार माँगता है, ज़लील …
दो चार क्या हैं सारे ज़माने के बावजूद हम मिट नहीं सकेंगे मिटाने के बावजूद, …
बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस फ़ितरत है उसको कहाँ पता हया क्या ? क्या …