बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो…
बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो तुम हँसते चेहरे के दुख से …
बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो तुम हँसते चेहरे के दुख से …
वो दिल की झील में उतरा था एक साअ’त को ये उम्र हो गई है …
उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो सफ़र आसान था लेकिन …
किसी के वायदे पे क्यों ऐतबार हमने किया ? न आने वालो का क्यों इंतज़ार …
ये इश्क़ पे सब दुनियाँ वाले बेकार की बातें करते है पायल के ग़मों का …
कोई नहीं आता समझाने अब आराम से हैं दीवाने, तय न हुए दिल के वीराने …
क़र्ज़ जाँ का उतारने के लिए मैं जीया ख़ुद को मारने के लिए, मुझे …
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है, …
कौन कहता है शरारत से तुम्हे देखते है जान ए मन हम तो मुहब्बत से …