मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही पागल हो जाएगा…
कोई हसीन मंज़र आँखों से जब ओझल हो जाएगा मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही …
कोई हसीन मंज़र आँखों से जब ओझल हो जाएगा मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही …
तभी तो मैं मुहब्बत का कही हवालाती नहीं होता जहाँ अपने सिवा कोई शख्स मुलाक़ाती …
मैं रातें जाग कर अक्सर वो यादें झाँक कर अक्सर निशाँ जो छोड़ देती है …
मेरे दोस्त, ऐ मेरे प्यारे अभी बात है अधूरी अभी चाँदनी है बाक़ी अभी रात …
चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो मेरी नज़रों से छुप कर …
इस तसल्ली से बरसते है आँसू तेरे सामने कि तेरा हाथ मेरे रुखसार को तो …