इस्लामिक शायरी
ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओ
ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओउठो अब नींद से जागो के अब …
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते…
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते हर दर पे जो झुक …
छोड़ के सब कुछ फक़त तुम इन्सान बनो…
बना के भेजा था उस रब ने अपना तर्जुमान तुम्हे छोड़ के सब कुछ फक़त …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे…
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ…
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …
दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे…
चलो आओ हम एक वायदा करें दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे, वो सब काम …