राहत ए वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर
राहत ए वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर ज़िंदगी कैसे बसर होगी मोहब्बत के …
राहत ए वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर ज़िंदगी कैसे बसर होगी मोहब्बत के …
मैं ख्याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है सर ए आईना मेरा …
हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से …
ख़्वाबो को मेरे प्यार की ताबीर बख्श दे दिल को मेरे इश्क़ की ज़ागीर बख्श …
मैं एक काँच का पैकर वो शख़्स पत्थर था सो पाश पाश तो होना मेरा …
ख़ुद आगही का अजब रोग लग गया है मुझे कि अपनी ज़ात पे धोका तेरा …
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो इस बात …
दिल इश्क़ में बे पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो दरिया हो तो ऐसा हो …
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा था मेरे और वो …