मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …
मुझे आरज़ू जिसकी है उसको ही ख़बर नहीं नज़रअंदाज़ कर दूँ ऐसी मेरी कोई नज़र …
इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो बाज़ार है तो हम पे कभी …
बसा तो लेते नया दिल में हम मकीं लेकिन मिला न आप से बढ़ कर …
मुख़्तसर बात, बात काफी है एक तेरा साथ, साथ काफी है, वो जो गुज़र जाए …
इश्क़ ने बख्शी है हमें ये सौगात मुसलसल तेरा ही ज़िक्र हमेशा तेरी ही बात …
आपकी याद आती रही रात भर चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर, गाह जलती हुई …
बे नियाज़ी के सिलसिले में हूँ मैं कहाँ अब तेरे नशे में हूँ, हिज्र तेरा …
देख लेते हैं अब उस बाम को आते जाते ये भी आज़ार चला जाएगा जाते …
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता दिल उस से मिला जिस …
कितना नादान है वो मेरे दिल ए हाल से ख़ुद का दिल दुखाता है ख़ुद …