कोई चेहरा न हुआ रोशन न उजागर आँखें…
कोई चेहरा न हुआ रोशन न उजागर आँखें आइना देख रही थीं मेरी पत्थर आँखें, ले उड़ी वक्त …
कोई चेहरा न हुआ रोशन न उजागर आँखें आइना देख रही थीं मेरी पत्थर आँखें, ले उड़ी वक्त …
इस तरह सताया है परेशान किया है गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है, तुझको ही नहीं मुझ …
सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से उठता है धुआँ दिल से निगाहों से जिगर से, …
वो दिल की झील में उतरा था एक साअ’त को ये उम्र हो गई है सहते इस मलामत …
ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी वो भी दिन थे कि रह ओ रस्म ए वफ़ा …
उसे हम पा ही लेते बस ज़रा सा और चलते तो सफ़र आसान था लेकिन ज़रा रस्ते संभलते …
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की ? …
सहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है, काई सी जम गई है …
शाम से आज साँस भारी है बे क़रारी सी बे क़रारी है, आपके बाद हर घड़ी हमने आपके …
किसी के वायदे पे क्यों ऐतबार हमने किया ? न आने वालो का क्यों इंतज़ार हमने किया ? …