सियासत मुफ़ादात में खो गई है
हुकुमत न जाने कहाँ सो गई है ?
आवामी मसायेल इन्हें तब दिखे हैं
कि जब उनकी मुद्दत ख़त्म हो गई है,
नये हुक्मराँ आ के ये बोलते हैं
बुरी थी हुकुमत बहुत जो गई है,
वो बैरूनी इम्दाद का तो बताएँ
कहाँ से थी आई किधर को गई है ?
म’ईशत भी अब्तर ज़रायत भी अब्तर
मुसीबत नरी हर तरफ़ हो गई है,
यहाँ जो भी पार्टी क़यादत में आई
बहती गंगा वो फिर नहा धो गई है,
दुआ है ये अहसन कि हो जाये बेहतर
हमारी जो हालत तबाह हो गई है..!!