सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं,
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं,
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी आशियाँ और भी हैं,
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं,
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं,
इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा
कि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं,
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं..!!