अमीर ए मुल्क के नसीब है उरूज़ पे
हम गरीबो के हिस्से ज़वाल आ रहे है,
मुल्क में मौसम ए इंतेख़ाब आ गया है
सियासी शिकारी ले जाल आ रहे है,
उम्र भर जिसने ना की कद्र माँ बाप की
उन्हें भी हम गरीबो के ख्याल आ रहे है,
दौलत ए हराम को ज़हर बताने वाले ही
ख़ुद खा कर औरो को दलाल बता रहे है..!!