सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी

सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी,

उनसे यही कह आएँ कि अब हम न मिलेंगे
आख़िर कोई तक़रीब ए मुलाक़ात बनेगी,

ऐ नावक ए ग़म दिल में है एक बूँद लहू की
कुछ और तो क्या हम से मुदारात बनेगी,

ये हम से न होगा कि किसी एक को चाहें
ऐ इश्क़ हमारी न तेरे साथ बनेगी,

ये क्या है कि बढ़ते चलो बढ़ते चलो आगे
जब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी..!!

~जाँ निसार अख़्तर

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