सबब ए चश्म ए तर कैसे बताऊँ तुझे ?
ज़ख़्म ए दिल ओ जाँ कैसे दिखाऊं तुझे ?
तू सोचता है मेरे आँसू है ख़ुशी के आँसू
ग़म में रोया हूँ बार बार कैसे समझाऊँ तुझे ?
चुप हूँ मेरे चुप रहने का सबब तो समझ
हर बात बताई नहीं जाती कैसे बताऊँ तुझे ?
तू भी आजकल ख़ामोश रहने लगा है
तू ही बता मेरे हमदम कैसे हंसाऊँ तुझे ?
खुली फ़ज़ा है पयामी हवा है और तू है
खलने लगी है दूरी नज़दीक कैसे बुलाऊँ तुझे ?
गुजरा हुआ वक़्त भी लौट कर आया है कभी
तेरा आज हूँ अपना ले मुझे कैसे बताऊँ तुझे..??