मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़ न आया यारी में
हम ने पूरी जान लगाई उस की ताबेदारी में,
बेईमानी करते तो फिर शायद जीत के आ जाते
चाहे हार के वापस आए खेले अपनी बारी में,
मीठे मीठे होंठ हिलाए कड़वी कड़वी बातें की
कीकर और गुलाब लगाया उस ने एक कियारी में,
तेरी जानिब उठने वाली आँखों का रुख़ मोड़ लिया
हम ने अपने ऐब दिखाए तेरी पर्दादारी में,
जाने अब वो किस के साथ निकलता होगा रातों को
जाने कौन लगाता होगा दो घंटे तय्यारी में..!!
~दानिश नक़वी