मेरा नहीं तो वो अपना ही कुछ ख्याल करे
उसे कहो कि ताअल्लुक़ को फिर बहाल करे
मिले तो इतनी रियायत अता करे मुझ पर
मेरे जवाब को सुन कर कोई सवाल करे
क़लाम कर कि मेरे लफ्ज़ को सहूलत हो
तेरा सकूत मेरी गुफ़्तगू मुहाल करे
न गुज़रे वक़्त का पूछे न आने वाले का
कोई सवाल करे भी तो हसब हाल करे
वो होंठ हो कि तबस्सुम, सकूत हो कि सुखन
तेरा ज़माल हर एक रंग में कमाल करे
बुलंदियों पे कहाँ तक तुझे तलाश करूँ
हर एक साँस पे उम्र ए रवां ज़वाल करे
निगाह ए यार न हो तो निखर नहीं पाता
कोई ज़माल की जितनी भी देखभाल करे
मैं उसका फूल हूँ सो उसपे छोड़ दिया
वो गेसुओ में सजाएँ कि अब पामाल करे..!!