मेज़ चेहरा किताब तन्हाई
बन न जाए अज़ाब तन्हाई,
कर रहे थे सवाल सन्नाटे
दे रही थी जवाब तन्हाई,
आँख से टूट कर गिरे आँसू
हो गई बे नक़ाब तन्हाई,
वस्ल के एक एक लम्हे का
माँगती है हिसाब तन्हाई,
आहटों को भी क़त्ल कर देगी
दूर तक कामयाब तन्हाई,
चंद बे चेहरा साअ’तों का सलीम
सह रही है अज़ाब तन्हाई..!!
~सलीम अंसारी






















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