कुछ बात है कि आज ख्याल ए यार आया
एक बार नहीं बल्कि बार बार आया,
भूल चुका था सब चोटें मैं इस दिल की
ये क्या कि फिर वो ज़ख्म फ़िगार आया,
वो ज़माने की साज़िश, वो अपनों का सितम
कुछ नहीं बस याद एक एक वार आया,
बताये तो कोई जा कर उस सितमगर को
चलते चलते यहाँ तक उसका तलबगार आया,
नवाब न कर जीत की लगन अब तू
न जाने कब का है तू अपना दिल हार आया..!!