कोई दर्द कोई ख़ुशी कोई अरमान अब नहीं
ज़िस्म तो है मगर जान अब नहीं,
जिस कदर था साथ वो उस कदर जुदा हुआ
कोई फ़ासलो के भी दरमियान अब नहीं,
है सफ़र वही, है रस्ते भी वही
मेरे साथ तेरे कदमो के निशान अब नहीं,
इश्क़ के जूनून में एक बागपन तो था
अब गिला है कि कोई इम्तिहान अब नहीं,
कौन साथ देता है यहाँ मौत के सिवा
इतना वफ़ादार तो इन्सान अब नहीं..!!