ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा…

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा,

अपने साये से चौक जाते है
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा,

रात भर बोलते है सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा,

दिन गुज़रता नहीं है लोगो में
रात होती नहीं बसर तन्हा,

हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा..!!

~गुलज़ार

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