किसी की आह सुनते ही जो फ़ौरन काँप जाते है
वही इंसानियत के दर्द में आँसू बहाते है,
न जाने कौन सी दुनियाँ मेरे हिस्से में आई है
वफ़ा का नाम सुनते ही सभी पत्थर उठाते है,
उन्हें इंसानियत के दर्द का एहसास क्या होगा ?
जो ले कर नाम मज़हब का हमें हरदम लड़ाते है,
हमें नाकाम करने की बहुत साज़िश हुई लेकिन
ख़ुदा के फ़ज़ल से अब भी क़दम आगे बढ़ाते है,
हमारी ख़ामोशी पे तंज़ करना भी हिमाक़त है
हम अपने खून से इस मुल्क का नक्शा बनाते है..!!