कहिए ऐसी बात जो दिल में लगा दे आग सी

कहिए ऐसी बात जो दिल में लगा दे आग सी
क्या भला होगा किसी का दास्तान ए तूर से,

क़ैसर ओ अस्कंदर अपनी क़द्रदानी कर गए
पूछ लेते क़ीमत अपनी काश वो जम्हूर से,

कैफ़ियत नज़ारे की है फ़ासले पर मुनहसिर
कीजिए नज़ारा कुछ नज़दीक से कुछ दूर से,

दुख़्तर ए हव्वा से जो देखा सो देखा देखिए
रू पज़ीर अख़्लाक़ कैसे हों परी से हूर से ?

कर सका इस्लाह ए आलम कब कोई जादानुमा
जो भी तब्दीली हुई मिल्लत के नार ओ नूर से,

कर गया दुनिया में बस वो इंक़लाब अंगेज़ काम
मिल सकी फ़ुर्सत जिसे कुछ पेट के तनूर से,

जान बेचारे ने दी दुनिया को पहुँचा ख़ाक फ़ैज़
और भी बिगड़ा ज़माना दावा ए मंसूर से,

फ़ाएदा इंसाफ़ के आईन से दीवाना क्या
कुछ अगर उम्मीद है तो रहम के दस्तूर से..!!

~मोहन सिंह दीवाना

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