जंग जितनी हो सके दुश्वार होनी चाहिए
जीत हासिल हो तो लज़्ज़तदार होनी चाहिए,
एक आशिक़ कल सलामत शहर में देखा गया
ये ख़बर तो सुर्ख़ी ए अख़बार होनी चाहिए,
कह रही है आजकल ग़ज़लें किसी के इश्क़ में
वो कि जो ख़ुद ज़ीनत ए अशआर होनी चाहिए,
इश्क़ दोनों ने किया था ख़ुदकुशी बस मैं करूँ
वो भी मरने के लिए तय्यार होनी चाहिए,
दिल की नादानी ही बस काफ़ी नहीं है इश्क़ में
अक़्ल भी थोड़ी बहुत बीमार होनी चाहिए,
प्यार है तो हाथ उस का थाम अपने हाथ में
जंग है तो हाथ में तलवार होनी चाहिए..!!
~चराग़ शर्मा