जिन्हें हम कह नहीं पाए वो बातें याद आती हैं

जिन्हें हम कह नहीं पाए वो बातें याद आती हैं
गुज़शता ना मुलाक़ातों की यादें याद आती हैं,

कभी वीरान रस्तों पर कभी तन्हाई की चुप में
वो चेहरा बात करता है वो आँखें याद आती हैं,

कभी आए नहीं वो दिन जो अक्सर साथ चलते हैं
गुज़ारी जो नहीं हम ने वो रातें याद आती हैं,

जहाँ रखा नहीं पाँव वो रस्ता साथ चलता है
जिन्हें सोचा नहीं दिल ने वो राहें याद आती हैं..!!

~नून मीम दनिश

गलियों की बस ख़ाक उड़ा के जाना है

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