जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैं…

जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैं
वो शरीक़ राह ए सफ़र हुए,

जो मेरी तलब मेरी आस थे
वही लोग मुझसे बिछड़ गए,

जिन्हें मानता ही नहीं ये दिल
वही लोग है मेरे हमसफ़र,

मुझे हर तरह से जो रास थे
वही लोग मुझसे बिछड़ गए,

मुझे लम्हा भर के रफाक़तो के
सराब और सताएँ गए,

मेरी उमर भर की जो प्यास थे,
वही लोग मुझसे बिछड़ गए,

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: