इश्क में जब नफ़ा नुक़सान का हिसाब लगाया जायेगा

इश्क में जब नफ़ा नुक़सान का हिसाब लगाया जायेगा
उस दिन सच्चे दिल टूटेंगे, ख़्वाबों को दफ़नाया जायेगा,

मुहब्बत जब सच्चे जज़्बों से खाली हो जायेगा
तब ये दर्द का दरिया बन कर बहाया जायेगा,

जहाँ ख़्वाबों की बोलियाँ लगेगी किसी बाज़ार में
वहां दिलों के टुकड़ों का भी जश्न मनाया जायेगा,

इश्क की क़ीमत लगाना कब सीखा है ज़माने ने
मगर जब लगाई गई, दिल का खून बहाया जायेगा,

मुहब्बत को जो तिज़ारत की तरह तौला करते हैं
इश्क़ में उन्हें हर मोड़ पे तन्हा ही छोड़ा जायेगा,

जो लोग दिल के सौदागर बने हैं इस दुनियाँ में
उन का हर एक रिश्ता ख़ुद ब ख़ुद छुटता जायेगा..!!

 

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