इश्क़ गर हाथ छुड़ाए तो छुड़ाने देना

इश्क़ गर हाथ छुड़ाए तो छुड़ाने देना
कार ए वहशत पे मगर आँच न आने देना,

यूँ भी आग़ाज़ में हर काम भला लगता है
अव्वल अव्वल है इसे हिज्र मनाने देना,

अपने बच्चे को न नफ़रत का पढ़ा देना सबक़
हाथ दुश्मन से मिलाए तो मिलाने देना,

ये भी कमज़र्फ़ मोहब्बत का वतीरा है मियाँ
जब नए ज़ख़्म की ख़्वाहिश हो पुराने देना,

जिस ने दामन मेरा दुख दर्द से भर डाला है
मेरे मौला उसे ख़ुशियों के ख़ज़ाने देना,

इज़्ज़त ए नफ़्स से बढ़ कर तो कोई चीज़ नहीं
जो तुम्हें छोड़ के जाए उसे जाने देना,

~कोमल जोया

सुख़न के शौक़ में तौहीन हर्फ़ की नहीं की

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