होश में रह के बे हवास फिर रहे है आज
तेरे नगर में हम उदास फिर रहे है आज,
हैं फ़ासले भी काफी, हम में और तुम में दोस्त !
इसी सबब तो तेरे पास फिर रहे है आज,
ऐ दोस्तों ! ऐ दुश्मनों ! ये पूछना उसे
वो ज़िन्दगी से क्यूँ निरास फिर रहे है आज,
वो चाहतो की आड़ में बने है अज़नबी वहाँ पे
हम हम भी रू शनास फिर रहे है आज,
जो शेर हमको ख़ुद समझ नहीं है आ सका
वो शेर ले के हम क़यास, फिर रहे हैं आज,
कभी भी दिल के जो क़रीब नहीं रहे है
वो मेरे दिल के आस पास फिर रहे है आज..!!