हौसले गम से लड़ गए मेरे…

हौसले गम से लड़ गए मेरे
अश्क मुश्किल में पड़ गए मेरे,

मैंने हिज़रत का बीज क्या बोया
पाँव जड़ से उखड़ गए मेरे,

ठन गई यूँ मेरी मुक़द्दर से
काम बनते बिगड़ गए मेरे,

नींद टूटी खिज़ा की दस्तक पर
ख़्वाब पलकों से झड़ गए मेरे,

सब रफूगर किधर गए यारो
ज़ख्म फिर से उधड़ गए मेरे..!!

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