कागज़ पर तहरीर दिलचस्प दास्तान हूँ मैं…

हसरतों से भरा क़ब्रिस्तान हूँ मैं
आबाद कर मुझे कि वीरान हूँ मैं,

तसल्ली दे मुझको कि तू है इधर
क़ैद में तन्हा परेशान हूँ मैं,

तूने छोड़ दिया मुझे और बताया भी नहीं
इस हिमाक़त से तेरी हैरान हूँ मैं,

फराक़त तेरी आख़िर मार ही डालेगी
कबतक जिऊँगा इन्सान हूँ मैं,

मेरी उम्र से ज्यादा है बोझ मुझ पर
बूढ़े तासीर का नौजवान हूँ मैं,

किस तबीयत के ज़ालिम ने डसा है मुझे
पूरा कर के छोड़ा हुआ अरमान हूँ मैं,

मुझे पढ़ता है ये ज़माना बड़े जौक के साथ
कागज़ पर तहरीर दिलचस्प दास्तान हूँ मैं..!!

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