ग़ज़ल की शक्ल में एक बात है सुनाने की
एक उसका नाम है वजह मुस्कुराने की,
इस तरह राब्ता क़ायम है उनकी महफ़िल से
अब क़ैद हट गई तसव्वुर में आने जाने की,
ज़माना छूटता है छूट जाए क्या परवाह ?
बस एक फ़रेब खुर्दा जान है ज़माने की,
क्यों आप दे रहे है मुझको लालच ए दुनियाँ ?
मैं नवाब ज़ाद हूँ मुझे हाज़त नहीं ज़माने की,
हिम्मत ही दब गई वाइज़ो की ये सुन कर
हिम्मत नहीं मुझे हक़ बात को छुपाने की,
दुनियाँ बदल गई जबसे मैं हो गया उनका
अज़ीब ये शान है मुर्शिद से दिल लगाने की,
तमन्ना यही है जीते जी न सही बाद मरने के ही
सनम के दिल में कोई मुक़ाम तो ही दीवाने की..!!
Wah Wah wah kya baaat hai