दिल ए नादान की बात थी और कुछ नहीं
मुहब्बत स्याह रात थी और कुछ भी नहीं,
आसानियों की आस में तल्खियों के बीच
गुज़री तमाम हयात थी और कुछ नहीं,
एक मोड़ पे मिले थे आँखों ही आँखों में
बस नज़रों की मुलाक़ात थी और कुछ नहीं,
वो छोड़ के जहाँ भी गया है बस ख़ुश रहे
यही रब से मुनाजात थी और कुछ नहीं..!!