इश्क़ सहरा है कि दरियाँ कभी सोचा तुमने
तुझसे क्या है मेरा नाता कभी सोचा तुमने ?
हाँ मैं तन्हा हूँ ये इक़रार भी करता हूँ
मगर किसने किया है तन्हा कभी सोचा तुमने ?
ये अलग बात है कि जताया नहीं मैंने तुझको
वरना कितना तुझको है चाहा कभी सोचा तुमने ?
तुझे आवाज़ लिखा, फूल लिखा, प्यार लिखा
मैंने क्या क्या तुझे लिखा कभी सोचा तुमने ?
मुतमअईन हूँ तुझे लफ्ज़ो की हरारत दे कर
मैंने तुम्हे कितना सोचा ज़रीन कभी सोचा तुमने ??