है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए…
है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, …
है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, …
चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने …
फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं जो तू नहीं तो उजाले भी …
एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब कोई बतलाये कहाँ गायब हुआ है इन्किलाब, …
गुलों में रंग न खुशबू, गरूर फिर भी है नशे में रूप के वो चूर-चूर …
तुम जैसे तो लाखो ही थे, है और भी आएँगे मगर हम जैसे तुम्हे बहुत …
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए …
जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ …
बशर तरसते है उम्दा खानों को मौत पड़ती है हुक्मरानो को, ज़ुर्म आज़ाद फिर रहा …