जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते…
जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते जाने क्यूँ अब मस्त मौला मिजाज़ नहीं होते, पहले …
जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते जाने क्यूँ अब मस्त मौला मिजाज़ नहीं होते, पहले …
झूठी बाते झूठे लोग, सहते रहेंगे सच्चे लोग हरियाली पर बोलेंगे, सावन के सब अँधे लोग, दो कौड़ी …
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ ? आजकल दिल्ली में है ज़ेर ए बहस …
इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो …
नसीबो पर नहीं चलते, नजीरों पर नहीं चलते जो सचमुच में बड़े है वो लकीरों पर नहीं चलते, …
मेरे लोग ख़ेमा ए सब्र में मेरा शहर गर्द ए मलाल में अभी कितना वक़्त है ऐ ख़ुदा …
निहत्थे आदमी के हाथ में हिम्मत ही काफी है हवा का रुख बदलने के लिए चाहत ही काफी …
दुनियाँ के लोग खुशियाँ मनाने में रह गए हम बदनसीब अश्क बहाने में रह गए, कुछ जाँ निसार …
मुहब्बत कहाँ अब घरों में मिले यहाँ फूल भी पत्थरो में मिले, जो फिरते रहे दनदनाते हुए वही …
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता …