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Miscellaneous

हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है..

urdu ko sab fariyadi batate hai

हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है यह पगली फिर भी अब तक ख़ुद को शहज़ादी …

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चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे…

charag apni thakan ki koi safai n de

चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे वो तीरगी है कि अब ख़्वाब तक दिखाई न दे, …

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एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम…

ek tuti hui zanjir ki fariyad hai ham

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम और दुनिया ये समझती है कि आज़ाद हैं हम, क्यूँ …

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जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए…

zindagi ka bojh uthaye hue chalte rahiye

जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए धूप में बर्फ़ की मानिंद पिघलते रहिए, ये तबस्सुम तो है …

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दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है…

duniyan kahin jo banti hai mitati zarur hai

दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है, जाते है …

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तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए…

tu gazal ban ke utar baat muqammal ho jaaye

तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए मुंतज़िर दिल की मुनाजात मुकम्मल हो जाए, उम्र भर …

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हाल ए दिल पे ही शायर बुनते है गज़ल…

haal e dil pe hi shayar bunte hai gazal

हाल ए दिल पे ही शायर बुनते है गज़ल जो बात दिल की समझते है वो सुनते है …

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दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह…

kis simt chal padi hai khudai mere khuda

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, मैनें तुझसे चाँद …

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बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन…

bikhre bikhre sahme sahme roz o shab

बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन लोग तेरे जुर्म देखेंगे सबब देखेगा कौन ? हाथ …

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ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो…

ye visal o hizr ka mas'ala to meri samjh me naa

ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो मेरी समझ में न आ सका कभी कोई मुझको न पा …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने