तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती है…
तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती हैकहती मरहबा ! सब तितलियाँ पुकारती है, न बोसा प्यार का अंबर …
तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती हैकहती मरहबा ! सब तितलियाँ पुकारती है, न बोसा प्यार का अंबर …
होश में रह के बे हवास फिर रहे है आजतेरे नगर में हम उदास फिर रहे है आज, …
कहे दुनियाँ उसे ऐसे ही बेकार न आयेक़िस्मत का मेरी बन के ख़रीदार न आये, इस बार मुलाक़ात …
कर के सारी हदों को पार चलाआज फिर से मैं कु ए यार चला, उसने वायदा किया था …
पलकों को तेरी शर्म से झुकता हुआ मैं देखूँधड़कन को अपने दिल की रुकता हुआ मैं देखूँ, पीने …
रुख से नक़ाब उनके जो हटती चली गईचादर सी एक नूर की बिछती चली गई, आये वो मेरे …
हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ हैहर नग़्मा सर-ए-बज़्म-ए-तरब और ही कुछ है, अरबाब-ए-वफ़ा जान …
जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैंवो शरीक़ राह ए सफ़र हुए, जो मेरी तलब मेरी आस थेवही लोग …
अभी क्या कहेअभी क्या सुने? कि सर ए फसील ए सकूत ए जाँकफ़ ए रोज़ ओ शब पे …
कभी ऐसा भी होता है ?कि जिसको हमसफ़र जानेकि जो शरीक़ ए दर्द होवही हमसे बिछड़ जाए, कभी …