तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ

तलाश ए जन्नत ओ

तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे

कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ?

कौन है नेक

कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ? किसी के हाथों में ये सनद है कहाँ ?

दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं

duniya ki bulandi ke talabgar nahi ahi

दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं हम अहल ए ख़िरद तेरे परस्तार नहीं हैं, बरगद की तरह

रिहा कर मुझे या सज़ा दे ऐ आदिल

riha kar mujhe yaa saja de

रिहा कर मुझे या सज़ा दे ऐ आदिल कोई तो फ़ैसला तू सुना दे ऐ आदिल, यूँ असीरी

बुलंद दर्ज़ा है दुनियाँ में माँ बाप का

buland darza hai duniyan me maan baap ka

बुलंद दर्ज़ा है दुनियाँ में माँ बाप का इनके जैसा तो कोई और प्यारा नहीं, इतने एहसान है

सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ

satate ho tum mazlumon ko

सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ मज़ालिम का लबरेज़ जब जाम

सूरज से यूँ आँख मिलाना…

suraj se yun aankh milana

सूरज से यूँ आँख मिलाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, दुनियाँ से इस्लाम मिटाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, मुशरिको

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे

bahut kharab raha is daur men

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे एक क़ौम का अच्छा होना, रास ना आया मनहूसों को क़ौम का

इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से

is naye saal pe ye sada hai

इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से सलामत रहे वतन हर एक बला से, न पलकों

मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़…

mazlumo ke haq me ab awaz

मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये कौन ? कौन