अश्क आँखों में छुपाते हुए थक जाता हूँ…
अश्क आँखों में छुपाते हुए थक जाता हूँ बोझ पानी का उठाते हुए थक जाता …
अश्क आँखों में छुपाते हुए थक जाता हूँ बोझ पानी का उठाते हुए थक जाता …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम रहा ये वहम कि हम हैं सो …
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए …
एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ मैं ज़िन्दगी को इधर उधर कर बैठा …
ख़ुदा की कौन सी है राह बेहतर जानता है मज़ा है नेकियों में क्या कलंदर …
ईद मुबारक़ आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है सच्चाई ओ हक़ …
लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुएहम हर बुर्ज में घटते घटते सुब्ह …
संभाला होश है जबसेमुक़द्दर सख्त तर निकलाबड़ा है वास्ता जिससेवही ज़ेर ओ ज़बर निकला, सबक़ …