बस इतनी बात पे बीबी खफ़ा है शौहर से
कि माँ के हाथ पे ला कर दिहाड़ी रखता है,
अभी तो क़ब्रे भी यहाँ महफूज़ ना रही नवाब
किसी को दफ़न जो करता है, झाड़ी रखता है,
उतारा शीशे में उसने, फ़रेब दे के मुझे
वो एक शख्स जो ख़ुद को अनाड़ी रखता है,
बना लिया है जो कच्चा मकाँ किसी ने यहाँ
वो झोपड़ा भी अगर है तो माड़ी रखता है,
कभी नवाब के मन को टटोल कर तो देखो
ये दिल का मोम है, चेहरा पहाड़ी रखता है..!!