बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ

बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ
वो हँसाते भी है ऐसा कि रुला देते है,

मैंने माँगा जो कभी दूर से दिल डर डर कर
उसने धमका के कहा पास तो आ देते है,

आ के बाज़ार ए मुहब्बत में ज़रा सैर करो
लोग क्या करते है, क्या लेते है, क्या देते है ?

इसको कहते है यही बाद हवाई है जवाब
ख़त के पुर्ज़े मेरी ज़ानिब वो उड़ा देते है,

फूल से गाल अबस रखते हो तुम ज़ेर ए नक़ाब
ताज़गी के लिए फूलों को हवा देते है..!!

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