आँख से फिर न बहेगा दिल ए बर्बाद का दुःख…
आँख से फिर न बहेगा दिल ए बर्बाद का दुःखजब परीजाद समझ लेगी अनाज़ाद का दुःख याद करता …
आँख से फिर न बहेगा दिल ए बर्बाद का दुःखजब परीजाद समझ लेगी अनाज़ाद का दुःख याद करता …
लम्हे लम्हे के सियासत पर नज़र रखते हैहमसे दीवाने भी दुनियाँ की ख़बर रखते है इतने नादान भी …
बहुत रोया वो हमको याद कर केहमारी ज़िन्दगी बर्बाद कर के, पलट कर फिर यही आ जाएँगे हमवो …
किसी रोज़ शाम के वक़्तसूरज के आराम के वक़्तमिल जाए जो साथ तेराहाथ में ले कर हाथ तेरादूर …
जिसको देखो वही इक्तिदार चाहता हैयार चाहता है प्रोटोकॉल मर्ज़ी का, हर कोई चाहता है बनना सियासतदाँसियासत की …
ये लाल डिबिया में जो पड़ी है वो मुँह दिखाई पड़ी रहेगीजो मैं भी रूठा तो सुबह तक …
तेरे उकताते हुए लम्स से महसूस हुआअब बिछड़ने का तेरे वक़्त हुआ चाहता है, अजनबियत तेरे लहज़े की …
इससे पहले कि कोई इनको चुरा ले, गिन लोतुमने जो दर्द किये मेरे हवाले, गिन लो चल के …
हरीस दिल ने ज़माना कसीर बेचा हैकिसी ने ज़िस्म, किसी ने ज़मीर बेचा है, नहीं रही बशरियत की …
मेरा नहीं तो वो अपना ही कुछ ख्याल करेउसे कहो कि ताअल्लुक़ को फिर बहाल करे मिले तो …