अभी तो इश्क़ में ऐसा भी हाल होना है
कि अश्क रोकना तुम से मुहाल होना है,
हर एक लब पे है मेरी वफ़ा के अफ़्साने
तिरे सितम को अभी ला-ज़वाल होना है,
बजा कि ख़्वाब हैं लेकिन बहार की रुत में
ये तय है कि अब के हमें भी निहाल होना है,
तुम्हें ख़बर ही नहीं तुम तो लौट जाओगे
तुम्हारे हिज्र में लम्हा भी साल होना है,
हमारी रूह पे जब भी अज़ाब उतरेंगे
तुम्हारी याद को इस दिल को ढाल होना है,
कभी तो रोएगा वो भी किसी की बाँहों में
कभी तो उस की हँसी को ज़वाल होना है,
मिलेंगी हम को भी अपने नसीब की ख़ुशियाँ
बस इंतिज़ार है कब ये कमाल होना है,
हर एक शख़्स चलेगा हमारी राहों पर
मोहब्बतों में हमें वो मिसाल होना है,
ज़माना जिस के ख़म-ओ-पेच में उलझ जाए
हमारी ज़ात को ऐसा सवाल होना है,
‘वसी’ यक़ीन है मुझ को वो लौट आएगा
उसे भी अपने किए का मलाल होना है..!!
~वसी शाह