हजारो बार सोचोगे हमें तहरीर करने तक
हमें दरियाफ़त करने से हमें तसखीर करने तकबहुत है मरहले बाक़ी, हमें जंज़ीर करने तक, हमारे हिज़्र के
हमें दरियाफ़त करने से हमें तसखीर करने तकबहुत है मरहले बाक़ी, हमें जंज़ीर करने तक, हमारे हिज़्र के
गर करो जहाँ में किसी से भी दोस्तीतो फिर ताउम्र उसको धोखा मत देना, खिला कर लबो पर
दुनियाँ के फ़िक्र ओ गम से आज़ाद किया शुक्रियाऐ दोस्त ! तेरा और तेरी दोस्ती का शुक्रिया ,
ऐ दोस्त तूने दोस्ती का हक़ अदा कियाअपनी ख़ुशी लुटा कर मेरा गम घटा दिया, कहने को तो
कौन कहता है मुहब्बत बस एक कहानी हैमुहब्बत तो सहीफ़ा है, मुहब्बत आसमानी है, मुहब्बत को खुदारा तुम
हमारे मुल्क में तमाशे अज़ीब हो रहे हैअमीर और अमीर, ग़रीब और ग़रीब हो रहे है, मुल्क की
सच्ची दोस्ती में कहाँ कोई उसूल होता हैयार गरीब हो या अमीर बेशक़ क़ुबूल होता है गरज़ नहीं
दर्द ए दिल के कम होने का तन्हा कुछ सामान हुआहम भी अब कुछ दिन जी लेंगे इसका
तुम्हारा मुन्तज़िर हूँ तो हज़ारों घर बनाता हूँवो रस्ते बनते जाते है कुछ इतने दर बनाता हूँ, जो
सेहरा में साया तलक ना दे सके मुसाफ़िर को ऐसा शज़र ए बख्त सूख ही जाए तो बेहतर