अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते
उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते,
सीम जाएगा तो फिर नक़्श उभारेंगे कोई
काम दीवार पे फ़िलहाल नहीं कर सकते,
रह भी सकता है तेरा नाम कहीं लिखा हुआ
सारे जंगल की तो पड़ताल नहीं कर सकते,
दोस्त तस्वीर बहुत दूर से खींची गई है
हम उजागर ये ख़द ओ ख़ाल नहीं कर सकते,
रोती आँखों पे मियाँ हाथ तो रख सकते हैं
पेश अगर आप को रूमाल नहीं कर सकते,
दे न दे काम की उजरत ये है मर्ज़ी उस की
पेशा ए इश्क़ में हड़ताल नहीं कर सकते,
दश्त आए जिसे वहशत की तलब हो नादिर
ये ग़िज़ा शहर हम इर्साल नहीं कर सकते..!!
~नादिर अरीज़