अनगिनत फूल इंतिख़ाब गुलाब
आदतें कर गया ख़राब गुलाब,
वो है नाराज़ उस की चौखट पर
ले के जाऊँगा बेहिसाब गुलाब,
नज़्र जो कर सकूँगा उस के हुज़ूर
शहर में कब वो दस्तियाब गुलाब,
उस की रंगत है क्या बदन कैसा
इन सवालों का है जवाब गुलाब,
ऐसे लगता है अहल ए दिल के लिए
बन गया इश्क़ का निसाब गुलाब,
हर नए फूल में तजस्सुस है
किस तरह से है कामयाब गुलाब,
पत्ती पत्ती बिखर गया क्यूँ कर
कर न ले मेरा एहतिसाब गुलाब..!!
~यासीनआतिर