आंधियाँ भी चले और दीया भी जले
होगा कैसे भला आसमां के तले ?
अब भरोसा करे भी तो किस पर करे
अब तो अपना ही साया हमें ही छले,
दिन में आदर्श की बात हमसे करे
वो बने भेड़िया ख़ुद जहाँ दिन ढले,
आवरण सा चढ़ा है सभी पर कोई
और भीतर से सारे हुए खोखले,
ज़िन्दगी की ख़ुशी बाँटने से बढ़े
तो सभी के दिलो में है क्यों फ़ासले ?
कुछ बुरा कुछ भला है सभी को मिला
दूसरो की कोई बात फिर क्यों खले..??