चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है…

चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है
असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो रही है,

अनबन बढ़ती जा रही है रिश्तो में भी
अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही है,

पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ मैं आज कल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है,

दूरियाँ बढ़ती ही जा रही है मंज़िल से मेरी
चलते चलते भी थकावट सी हो रही है,

शब्द कम पड़ रहे है मेरी बातों में भी
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है,

और मशवरे की भी आदत न रही लोगो में
अब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है..!!

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