मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ…

मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ
जन्म दिन है अकेला रो रहा हूँ,

किसी ने झाँक कर देखा न दिल में
कि मैं अंदर से कैसा हो रहा हूँ ?

जो दिल पर दाग़ हैं पिछली रुतों के
उन्हें अब आँसुओं से धो रहा हूँ,

सभी परछाइयाँ हैं साथ लेकिन
भरी महफ़िल में तन्हा हो रहा हूँ,

मुझे इन निस्बतों से कौन समझा
मैं रिश्ते में किसी का जो रहा हूँ ?

मैं चौंक उठता हूँ अक्सर बैठे बैठे
कि जैसे जागते में सो रहा हूँ,

किसे पाने की ख़्वाहिश है कि ‘साजिद’
मैं रफ़्ता रफ़्ता ख़ुद को खो रहा हूँ..!!

~ऐतबार साजिद

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women