यूँ भरम अपनी अमीरी का बना रखा है
घर तो ख़ाली है मगर ताला लगा रखा है,
आल ए मक़्तूल तो मक़्तल में खड़ी है ख़ामोश
आप ने किस लिए हंगामा मचा रखा है ?
तुम ने सहरा में बहुत ख़ाक उड़ाई होगी
मैं ने तो शहर में माहौल बना रखा है,
जैसे तैसे तेरी तस्वीर चुरा ली मैं ने
बस कोई पूछ न ले जेब में क्या रखा है ?
तुम कहो अपने तअल्लुक़ की वज़ाहत कर दूँ
एक पत्थर है जिसे सर पे उठा रखा है..!!
~इब्राहीम अली ज़ीशान
हाकिम ए शहर के अंदाज़ हैं हिंदा जैसे
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